हाब्बी मान सिंह कला केंद्र में हुआ लोक नाट्य का मंचन
गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत पांजो भाई रा झाजड़ा का प्रदर्शन
डिजिटल सिरमौर/राजगढ़
आसरा संस्था के प्रभारी जोगेंद्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि आसरा संस्था जालग, पझौता द्वारा जालग स्थित हाब्बी मान सिंह कला केंद्र में 26 फरवरी को एक मंचीय प्रदर्शन का आयोजन किया गया। प्रदर्शन में आसरा संस्था द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत तैयार की गई विधाओं का मंचन किया गया। इस मंचीय प्रदर्शन की मुख्य प्रस्तुति लोकनाट्य स्वांग पांजो भाई रा झाजड़ा की रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ लोक वादक कलाकारों द्वारा नौगत वादन से किया गया। इसके पश्चात कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनोरंजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पांजो भाई रा झाजड़ा लोकनाट्य रहा। इस लोकनाट्य में पिता के पांच बेटे हैं और वह पांचों कुंवारे होते हैं। पांच पुत्र अलग-अलग काम करते हैं। इनमें नाई, दर्जी मोची, सुनार का काम करते हैं और इनमें से एक भाई सैनिक होता है। पांचो भाई एक युवती के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखते हैं और वह युवती बारी बारी से उन सभी की बात सुनती है और बाकी सभी को नकार के सैनिक के साथ विवाह करने के लिए राजी हो जाती है।
लोकनाट्य में पांचों भाइयों का बारी बारी से युवती से संवाद हास परिहास व मनोरंजन का मुख्य कारण बनता है। जिसका दर्शकों ने खूब आनंद लिया। पांजो भाई रा झाजड़ा के स्वांग में नांईं की भूमिका में संदीप और दर्जी की भूमिका में चमन, मोची की अदा में गोपाल, सुनार की भूमिका में अमी चन्द और सैनिक की भूमिका में जितेंद्र के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। लोक नाट्य में सरोज ने सभी पात्रों के साथ हास्य व्यंग्य संवाद करके इस लोकनाट्य को और अधिक आकर्षक बनाया। आसरा संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में रामलाल गोपाल अमीचंद जितेंद्र चमन संदीप कृष्ण मुकेश हंसराज सुनील अमन ओमप्रकाश अनिल सरोज अनु लक्ष्मी सुनपति हेमलता सीमा आदि कलाकारों ने भाग लिया।
इस मौके पर संस्था के गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि आसरा संस्था द्वारा प्रतिवर्ष लोक विधाओं का प्रशिक्षण कलाकारों को प्रदान किया जाता है। जिसके अंतर्गत लोक नृत्य एवं लोकनाट्य का प्रशिक्षण कलाकारों को प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि आसरा संस्था के कलाकार बधाई के पात्र हैं जो प्रशिक्षण में तैयार की जा रही विधाओं को सीखने का पूरा प्रयास करते हैं और उन्हें मंचीय प्रस्तुतियों के लिए और अधिक आकर्षक बनाते हैं। आसरा संस्था का यह प्रयास है कि विलुप्त होते जा रहे लोक नृत्य एवं लोकनाट्यों को युवा कलाकारों को सिखाकर आम जनमानस के समक्ष उसका प्रदर्शन करके आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से रूबरू करवाया जा सके।