चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में तिब्बती समुदाय ने निकाली जागरूकता रैली
भारत दलाईलामा को सम्मानित करे भारत रत्न से -कर्मा येशी
डिजिटल सिरमौर/ पावंटा साहिब
पावंटा साहिब में तिब्बती समुदाय के लोगों द्वारा जागरूकता अभियान का आयोजन नगर पालिका मैदान में किया गया। जिसमें पावंटा तिब्बती सेटलमेंट, पुरुवाला, सतौन, कमरऊ सेटलमेंट के अधिकारी मौजूद रहे। जागरूकता अभियान का श्री गणेश दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों से किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कैबिनेट सदस्य कर्मा योगी ने शिरकत की। जबकि सामान्य अतिथि छोक्क्योंग वांगचुंग, विशेष अतिथि के रूप में मदन लाल खुराना व टाशी देकी ने शिरकत की।
इस दौरान सम्बोधन देते हुए टाशी देकी ने कहा कि विश्व में चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, तिब्बत की आजादी के लिए जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया उनके बलिदान को भी याद किया गया व मौन रखा गया। 63 वर्ष पूर्व तिब्बत के ल्हासा में धर्मगुरु दलाई लामा अपने 40 हजार समर्थकों के साथ चीन द्वारा प्रताड़ित होकर तिब्बत छोड़ने पर मजबूर हुए थे। जिसके बाद उन्होंने भारत में शरण पाई, उसी समय से 10 मार्च को चीन के विरोध में तिब्बती क्रांति दिवस मनाया जाता है।
मुख्य अतिथि कर्मा येशी ने बताया कि आजादी को लेकर तिब्बती नागरिकों ने एक महा सम्म्मेलन का आयोजन किया। जिसमें कई तिबतीयन नागरिक मौजूद रहे। यदि तिब्बत आजाद होगा तो भारत देश की सुरक्षा भी होगी। उन्होंने सम्बोधन देते हुए बताया कि चीनी लद्दाख व अरुणाचल में घुसपैठ कर रहे हैं, यदि तिब्बत आजाद होगा तो चीन को अपनी सेना तिब्बत से हटानी होगी, यूएनओ में भी आवाज उठाई गई है कि तिब्बत को आजाद किया जाए।
इस बीच उन्होंने अपने समुदाय से संबधिंत तीन प्रस्ताव पेश किए। जिसमें उन्होंने बताया कि देश की संसद में कुछ भी सम्भव है। उन्होंने अपने प्रस्ताव में कहा कि यदि धर्मगुरु दलाईलामा को भारत सरकार भारत रत्न से नवाजे तो चीन हिल जाएगा, इतना ही नही १९६२ में जो प्रस्ताव रखा गया है उसे हटाकर यदि भारत सरकार ये फरमान जारी कर दे कि तिब्बत आजाद है तो काफी हद तक तिब्बत समुदाय को राहत मिली।
उन्होंने कहा कि चार हजार वर्ग किमी पर चीन द्वारा कब्जा किया गया है उस कब्जे को चीन छोड़ दे। कर्मा येशी ने कहा की पहले तिब्बत आजाद था लेकिन बाद में तिब्बत की आजादी को चीन द्वारा छीन लिया गया, लेकिन चीन सिर्फ तिब्बत को छीन पाया है तिब्बत की संस्कृति को रोका है लेकिन तिब्बत के लोगों की भावनाओं को नहीं रोक सकता है।