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जनपद शिमला की विलुप्त हो रही धरोहर बूढ़याच नृत्य की तीन दिवसीय कार्यशाला में कलाकारों ने दिखाया दमखम

जनपद शिमला की विलुप्त हो रही धरोहर बूढ़याच नृत्य की तीन दिवसीय कार्यशाला में कलाकारों ने दिखाया दमखम
पदम श्री विद्यानंद सरैक ने मुख्य अतिथि के रूप में की शिरकत 

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भाषा एवं संस्कृति विभाग शिमला द्वारा उपमंडल मुख्यालय कुपवी में बुढ़ियाच विलुप्त हो रही अनादि कालीन लोकनृत्य की कार्यशाला का आयोजन 8 जुलाई से 10 जुलाई तक किया गया। बुढ़ियाच लोकनृत्य शिमला जिला की प्राचीन लोकनृत्य विधा है। यह विधा विलुप्त हो रही है जिला के कुपवी क्षेत्र में देव आस्था व श्रद्धा से यह नृत्य पतझड़ के मौसम में बूढ़ी दिवाली में किया जाता था।

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विभाग द्वारा इस क्षेत्र के नृत्य परंपरा से जुड़े कारदारों से संपर्क करने के बाद 8 जुलाई को तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। पारम्परिक नृत्य को मंचीय आकर्षण देने के लिए 8 जुलाई को पदम श्री विद्यानंद सरैक ने मुख्य अतिथि के रूप में पधार कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

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पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने जोगेंद्र हाब्बी के संग कई वर्षों से हारों- बारो पवाड़ा, सको के साथ-साथ ठोड़ा, सिंहटू, भड़ाल्टू, डग्याली नाच की खोज कर मंचीय आकर्षण प्रदान कर चुके हैं। जोगेंद्र हावी के नेतृत्व में आसरा वा चूड़ेश्वर लोक नृत्य दल के माध्यम से हिमाचली नाटी को एशिया बुक आफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिल चुका है।

अनिल हारटा ने इस लोक नृत्य को सही रूप दिलाने के लिए इनको तथा क्षेत्र के अनुभवी लोक कलाकारों पपिन्दर पिस्टा, तथा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित गोपाल हाबी,लोक गायक मान दास बिजटा आदि लोकसंस्कृति के जानकारों को विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया। 75 से अधिक लोक कलाकारों ने कार्यशाला में भाग लिया।

वाद्य कलाकारों ने देवताल संस्कार ताल तथा मनोरंजन ताल का अभ्यास हुआ मौलिक विधा में प्रस्तुति दी। तीन दिवसीय कार्यशाला के सत्रो मैं लोक गाथाओं पर चर्चा व गायन को सुचारू रूप तथा नृत्य विधओं को मौलिक रूप से प्रस्तुति के लिए तीन दिन तक अभ्यास करवाया गया।

8 व 9 जुलाई नृत्य व गायन का अभ्यास तथा 10 जुलाई को आदिकालीन परिधान लोया सुथण, टोपी ,पारम्परिक लोक वाद्ययन्त्र हुडक की थाप पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को रोमांचित किया।

10 जुलाई की शाम अतिथि का सम्मान और कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर पदम श्री विद्यानंद सरैक ने सम्मानित किया।
इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा ने सभी दर्शकों का आयोजन में सहयोग में तथा मुख्य अतिथि सहित विशेषज्ञों का आभार प्रकट किया। सरैक ने सभी कलाकारों को सफल आयोजन में सहयोग देने के लिए धन्यवाद किया ।

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