प्रवासी पक्षी और गेस्ट फैकल्टी में कोई अंतर नहीं
नौकरियां निकालने के सरकार के वायदे हवा हवाई
बहुजन समाज पार्टी हिमाचल प्रदेश के प्रदेश महासचिव व प्रदेश कार्यकारी कार्यालय सचिव ज्ञानचंद भाटिया ने वर्तमान कांग्रेस सरकार के गेस्ट फैकल्टी पर हालिया निर्णय और असंवैधानिक तरीके से हो रही भर्तियों पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार की कड़ी आलोचना की ।
हिमाचल में गेस्ट फैकल्टी को लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है। पढ़े लिखे बेरोजगार जगह-जगह इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। डिग्रियां ले चुके अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने दिन-रात मेहनत कर बेहतर भविष्य के लिए पढ़ाई की है, लेकिन प्रदेश सरकार उनके भविष्य को अंधेरे की ओर धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रशिक्षित बेरोजगारों का कहना है कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह युवा विरोधी है।
सरकार गेस्ट फैकल्टी के जरिए बैकडोर एंट्री का रास्ता अख्तियार कर रही है। क्योंकि इससे पहले भी पूर्व सरकारों के समय नई-नई पॉलिसियां लाई गईं और स्कूलों-कालेजों में अस्थायी तौर पर शिक्षकों की भर्ती की गई, जिन्हें बाद में सरकार ने रेगुलर कर दिया, जबकि उन्होंने न तो काई कमीशन पास किया और न ही कोई इंटरव्यू दिया। युवाओं ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण बैकडोर एंट्री के मिल जाएंगे, जो अब रेगुलर नौकरियां कर रहे हैं। इसके विपरीत जो युवा सालों से कमीशन के कंपीटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।
गेस्ट टीचर की अस्थाई नियुक्तियों का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि पहले वे पॉलिसी को पढ़ लें। बहुजन समाज पार्टी हिमाचल प्रदेश इस पॉलिसी से नाराज युवाओं का समर्थन करती है। पार्टी का मानना है कि गेस्ट टीचर और प्रवासी पक्षी में कोई फर्क नहीं है। सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस पॉलिसी का ड्राफ्ट अभी सामने नहीं आया है, लेकिन विभिन्न जिलों में जेबीटी इसके खिलाफ धरना दे रहे हैं।
गेस्ट फैकल्टी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं का कहना है कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि पहली ही कैबिनेट बैठक में 70 हजार सरकारी नौकरियां निकाली जाएंगी, लेकिन सत्ता में आते ही सरकार इसे भूल गई। अब तो एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन सरकार ने न तो नौकरियां निकाली और न ही कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर की तरह नई भर्ती एजेंसी का गठन किया। सरकार गठित होने से पूर्व किए गए वायदे हवा हवाई साबित हो चुके हैं। ऐसे में अब सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है। बेरोजगार आखिर सरकार पर कैसे और क्यों भरोसा करें।