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शहीद आशीष:भरली गांव के शहीद आशीष चौहान का पांवटा स्वर्गधाम में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार… पंचतत्व में हुए विलीन

Shaheed Ashish: भारत माता के वीर सपूत शहीद आशीष का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भरलइ पहुंचा, जहां हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़े।  गांव के  25 वर्षीय वीर सपूत आशीष कुमार ने देश की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया है। मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में ‘ऑपरेशन अलर्ट’ के दौरान सैन्य वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हुआ बेटा आशीष कुमार वीरवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। गांव की हर गली, हर मोड़ पर देशभक्ति के नारे गूंज रहे थे, और लोगों के दिलों में गर्व और शोक की मिलीजुली भावनाएं थीं। आशीष चौहान की शहादत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया, और हर व्यक्ति उनकी बहादुरी को सलाम कर रहा था।

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शहीद आशीष चौहान का अंतिम संस्कार पांवटा साहिब के स्वर्गधाम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। स्थानिय प्रशासन समेत सेना के जवानों ने शहीद को सलामी दी, और पूरे क्षेत्र से लोग आशीष चौहान को अंतिम विदाई देने पहुंचे। हर किसी की आंखें नम थीं, और दिलों में आशीष की यादें ताजा थीं। आशीष अमर रहे के नारों से हर कोने की फिजा गूंज उठी, जो शहीद के बलिदान को सदैव याद रखने का संकल्प था।

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आशीष की मां के चेहरे पर गहरी पीड़ा थी, क्योंकि उनका आशीष चौहान की शादी का सपना अधूरा रह गया। वह अपने बेटे को दुल्हा बनते देखने का सपना संजोए हुए थीं, लेकिन देश सेवा के लिए आशीष का यह बलिदान उनकी उम्मीदों पर भारी पड़ा।

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शहीद आशीष चौहान को श्रद्धांजलि देने उमड़ी भीड़

आशीष चौहान की शहादत ने पूरे क्षेत्र में देशभक्ति की भावना को और प्रबल कर दिया है। गांव के लोग शहीद के परिवार के साथ खड़े होकर उन्हें सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे। शहीद चैहान की याद में गांव के युवाओं ने दीप जलाए और उनकी शहादत को नमन किया।

आशीष की बहादुरी और देश के प्रति उनकी निष्ठा ने सभी को प्रेरित किया है। उनके बलिदान की यह गाथा न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे देश में सदैव याद की जाएगी। शहीद आशीष की याद में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां लोग उनके बलिदान को याद कर रहे थे और उनके अदम्य साहस की सराहना कर रहे थे। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे, जिन्होंने शहीद के परिवार को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया।

शहीद आशीष चौहान का पार्थिव देह उनके पैतृक गाॅव भरली से स्वर्गधाम पांवटा साहिब अन्तिम संस्कार के लिया जा रहा तो रास्ते में कई स्कूलों व गाॅव के लोगों ने उनके अन्तिम दर्शन किए व देश भक्ति के स्वर में गुंजामान क्षेत्र को भाव विभोर कर दिया।

 बता दें कि गांव के इस बेटे का जन्म 14 मार्च 1999 को हुआ था। आशीष कुमार, 19 ग्रेनेडियर बटालियन के अधीन अरुणाचल प्रदेश में सेवारत थे। करीब 6 साल पहले उन्होंने भारतीय सेना में भर्ती होकर अपने सपने को साकार किया था। आशीष के पिता श्याम सिंह का पहले ही निधन हो चुका था और अब उनके परिवार में केवल उनकी मां, जुड़वा भाई राहुल व रोहित और बहन पूजा रह गए हैं। बहन पूजा वन विभाग में वनरक्षक के पद पर तैनात हैं।

आशीष के इस बलिदान ने साबित कर दिया कि देश की सेवा में दिए गए बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाते। उनकी शहादत ने पूरे क्षेत्र को एकजुट कर दिया, और लोगों ने इस मौके पर देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर अपने कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लिया। शहीद आशीष की यह अमर गाथा आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेगी।

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