खनन करने से बांगरण पुल के अस्तित्व को खतरा, शासन प्रशासन बना मूकदर्शक
गिरिपार की दर्जनों पंचायतें पुल के बंद होने से होगी बाधित
सामरिक दृष्टि से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, विकास, सामाजिक उत्थान को लगेगा ग्रहण
डिजिटल सिरमौर/पांवटा साहिब
विकासखण्ड़ पांवटा साहिब खनन माफियाओं के हौसले दिनों दिन चौथे आसमान को छूने के कगार पर है। इनके हौसलों को पंख लगने में अब कोई रोकने वाला नहीं है उन्मुक्त गगन से लेकर नदी, नालों की छाती को छननी करना इनका एक मकसद है। चंद सिक्कों के लालच में इन्होंने नदी, नालों, पर्वतों व पहाड़ों को छान रख दिया है। इसी तरह का वाक्य एक बांगरण पुल के समीप देखने को अक्सर मिलता है।
बांगरण पुल के तले खनन माफियाओं ने रेत व बजरी को दिनदहाड़े प्रशासन की नाक के तले धडल्ले से लेे जाने में सक्षम हो रहे हैं, यहां पर रेत बजरी को उठाने के साथ साथ बांगरण पुल का अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है परंतु संबंधित विभाग इन सब के साथ आंख में मिचोली का खेल रहा है और इक्का दुक्का चालान करके इतिश्री कर देता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लोगों ने बताया कि यहां पर दिनदहाड़े खनन माफिया ओवरलोड ट्रैक्टर को पुल के तले से भरकर सड़कों पर निकलते हैं तो इनके सड़कों पर निकलते ही एक खौफ का माहौल पैदा हो जाता है। जिससे कभी भी दुर्घटना कर सकती है। जिसे रोकने में न तो पुलिस प्रशासन मुस्तैद है और न ही खनन अधिकारी। लोगों ने पहले भी कई मर्तबा इनकी शिकायत प्रशासन जनता के द्वार व संबंधित विभाग के अधिकारियों दरवाजे पर दस्तक देकर की है परंतु फिर भी इन बेलगाम माफिया को कोई भी रोकने वाला नहीं है इनको शायद खनन विभाग की ओर से श्रय मिल रहा है ऐसा लोगों का मानना है।
बता दें कि यदि बांगरण पुल किसी भी समय क्षतिग्रस्त हो जाता है तो खेमे की दर्जनों पंचायत का विकासखंड पांवटा साहब से संपर्क टूट जाएगा। जिससे क्षेत्र की जनता को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। क्षेत्र का यह एकमात्र ऐसा पुल है जो की गिरिपार क्षेत्र को अपने साथ जोड़े रखता है।
वही सामरिक दृष्टि की बात की जाए तो यह है। तो इस पुल से सामाजिक उत्थान और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों में शामिल हो सकते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, विकास, सामाजिक उत्थान की दृष्टि से यह पुल विकास क्षेत्र को जोड़ता है जिससे समुदाय के विकास की प्रक्रिया में समानता और समृद्धि का सामर्थ्य मिलता है। जो कि समाज में समृद्धि और समरसता को बढ़ावा देते हैं।