Environment News:पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नया कदम उठाते हुए “मेरा गाँव मेरा देश एक सहारा” संस्था ने माजरा में “खुशियों का बैंक” के रूप में एक प्लास्टिक कलेक्शन बैंक की शुरुआत की है। इस अनूठी पहल के तहत, वेस्ट प्लास्टिक का संग्रह कर उसे पुन: उपयोगी सामग्री में बदलने का काम किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ समाज में जागरूकता फैलाना है।
संस्था ने प्लास्टिक कलेक्शन बैंक में लोगों को प्रोत्साहित किया है कि वे अपनी रसोई से उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक रैपर्स और वेस्ट प्लास्टिक को इकट्ठा करें और उसे प्लास्टिक की खाली बोतलों में भरकर इस बैंक में जमा करें। इन भरी हुई बोतलों का उपयोग पॉलीब्रिक्स के रूप में किया जा रहा है, जो ईंटों के विकल्प के रूप में कार्य करती हैं। इन पॉलीब्रिक्स का इस्तेमाल बेंच और अन्य सजावटी वस्तुएं बनाने में किया जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही हैं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बन रही हैं।
माजरा शहीद स्मारक पर नई पहल
संस्था ने माजरा शहीद स्मारक को वेस्ट मटेरियल से सजाकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे प्लास्टिक कचरे का रचनात्मक और पर्यावरण अनुकूल उपयोग किया जा सकता है। माजरा शब्द के अक्षरों को प्लास्टिक रैपर्स और बोतलों से भरकर उन्हें प्रदर्शित किया गया है, जो न केवल स्मारक की सुंदरता में वृद्धि करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मजबूत संदेश देता है।
महिलाओं की भागीदारी पर जोर
संस्था द्वारा विशेष रूप से महिलाओं को इस पहल में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया गया है। उनसे आग्रह किया गया है कि वे अपनी रसोई में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करें और प्लास्टिक कलेक्शन बैंक में जमा करें। इससे वे न केवल पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देंगी, बल्कि समाज के लिए एक सकारात्मक उदाहरण भी प्रस्तुत करेंगी।
“मेरा गाँव मेरा देश एक सहारा” संस्था ने सभी से अपील की है कि वे इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और वेस्ट प्लास्टिक का पुन: उपयोग कर पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दें। संस्था का मानना है कि अगर समाज का हर व्यक्ति इस दिशा में कदम उठाएगा, तो हम एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव संभव हैं।