अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले में मेला लागा रेणुका रा मारे मेले के जाणा से गूंज उठा कवि सम्मेलन
श्री रेणुका जी
अंतर्राष्ट्रीय रेणुका मेले में जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला सिरमौर के द्वारा बहु भाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला सिरमौर के तीन दर्जन कवियों ने भाग लिया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी के द्वारा किया गया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रेम पाल आर्या ने की। मंच संचालन ड़ॉ ईश्वर राही के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आगाज कवयित्री अर्चना शर्मा द्वारा “मिना लागी रा शौजो रा लागी री घुसारी ” नामक गीत द्वारा किया गया। उसके बाद अनंत आलोक ने बिल्ली रास्ता काटती होती है बदनाम, मुझको अपना काम, उसको अपना काम दोहे और पहाड़ी गीत प्रस्तुत किए।
पहाड़ी कवि प्रताप पराशर ने “इतनी बात मेरी बे रखी, बेटियां तू चिटा ना चाखी “ नामक पहाड़ी कविता से नशा न करने का संदेश दिया। ड़ॉ ईश्वर राही ने ” मेला लागा रेणुका रा मारे मेले के जाणा, रेणु मंचो गाय मारे झूमियों मुजरा लाणा ” गीत प्रस्तुत कर समा बांधा। सुरेन्द्र सूर्या ने आम्बा, बाबा भोरिये भेजदि काटे और डाबे, युवा कवि अनुज कुमार ने “बेशक तू कीमती था, प्रमुख व्यंग्यकर प्रभात कुमार ने “मेले में कविता लगती है ठेके पर दी जाने वाली चीज, रामकुमार सैनी ने “ऑडियो हम क्यों जी पाती है, महज एक दो बरसात, डॉ दलीप वशिष्ट ने ओमे भाईया मजदूर, बड़े मजबूर गीत, आत्माराम भारद्वाज ने ढ़ोल बाजो दमाणु, दीप राज विश्वास ने गनीमत है कोई समझा, नरेंद्र छींटा ने अब जमाने के गम हँसके सहते है हम, शिव प्रकाश पथिक ने बात -बात का हिसाब होता है, दीप चंद कौशल ने, जिन्हें था जग को जितना, गिरे है जमीन पर, धनवीर सिँह परमार ने झील और ताल में सूखे तरु और डाल,कुमारी रविता चौहान ने, सियाली रा जाजड़ा, लायकराम भारद्वाज ने गर हार भी गए तो गम न कर, चिरांनंद शास्त्री ने, तू संगमर मैं गंगा का पानी, डॉ ओम प्रकाश राही ने खीर पटान्दे रे थाल और इस रेणुका तीर्थ में पहाड़ी मृणाल आचार्य चन्द्रमाणी वशिष्ट के योगदान पर,कुलदीप सिँह ने गृहस्थी की नकल, नासिर युसूफ जाई ने गजल और गीत प्रस्तुत कर खूब वाहा वाही लूटी।
इसके अतिरिक्त शबनम शर्मा, डॉ श्रीकांत अकेला, सरला गौतम, सुनीता भारद्वाज, लाल सिँह शास्त्री, डॉ शबाना शेयद, साधना शर्मा, पत्रकार दीपक जोशी, योगेंद्र अग्रवाल ने अपनी कविता प्रस्तुत कर समा बांधा। अंत में कवि सम्मेलन के अध्यक्ष प्रेम पाल आर्या ने” कोभी -कोभी बांदे री बात बे ठोगड़ी लागो, कविता प्रस्तुत कर अपने अध्यक्षय वक्तव्य से कवि सम्मेलन का समापन किया। डॉ आई डी राही ने भाषा विभाग की ओर से सभी श्रोताओं और साहित्यकारों का धन्यवाद किया।