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आवश्कता के अनुसार खुलेगे संस्थान प्रदेश-प्रदेश मुख्यमंत्री

आवश्कता के अनुसार खुलेगे संस्थान प्रदेश प्रदेश मुख्यमंत्री
शिक्षण संस्थान खोलने की शर्तं को पूरा नहीं कर पाई पूर्व सरकार 
डिजिटल सिरमौर/शिमला 
विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्षी दल भाजपा द्वारा लाए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ कहा कि बंद दफ्तरों में से सिर्फ वही खुलेंगे, जिनकी आवश्कता होगी। राज्य सरकार ने जरूरत के आधार पर ही कई ऐसे संस्थानों को दोबारा नोटिफाई भी किया है।

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उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने सत्ता के आखिरी छह महीने में वोट ठगने के लिए बेतूके आधार पर फैसले लिए। इसमें वित्त विभाग की राय को भी नजरअंदाज किया गया। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन संस्थानों को डिनोटिफाई करने के बाद बहुत से बहाल भी हुए हैं। डैहर पुलिस चौकी को दोबारा नोटिफाई कर दिया गया है। नूरपुर में खोला गया एसपी ऑफिस वैसे ही चल रहा है और 150 का स्टाफ और दिया है। पूरे हिमाचल में खोली गई फायर चौकियों को बंद नहीं किया है।

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प्लानिंग की बैठक में चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा के कहने पर चौपाल का फायर दफ्तर बहाल कर दिया है। एम्स बिलासपुर की पुलिस चौकी को भी दोबारा नोटिफाई कर दिया है। चुवाड़ी में पीडब्ल्यूडी डिवीजन नोटिफाई हो गया है। इसी तरह और भी बहुत से फैसले हुए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि अपग्रेड किए गए स्कूलों में से 286 में एक भी बच्चा एडमिट नहीं हुआ।

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3140 स्कूल सिंगल टीचर पर चल रहे हैं। नए अपग्रेड किए गए स्कूलों में हालत यह थी कि कहीं दो बच्चे हैं और पांच टीचर। ऐसे ही फैसलों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल 11वें स्थान पर पहुंच गया। कालेज बहाल करने को लेकर सरकार ने 60 बच्चों की एडमिशन की शर्त रखी है। इसके कारण नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का छतरी कालेज भी चल रहा है। पिछली सरकार शिक्षा विभाग में ही 12000 पद नहीं भर पाई। फिर नए संस्थान किसके भरोसे खोले जा रहे थे? आज भी 100 से ज्यादा कालेजों में प्रिंसिपल नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग में तो और भी बुरा हाल था। 140 संस्थान नए खोल दिए गए, जिनमें से सिर्फ नौ में वित्त विभाग ने सहमति जताई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में उनकी सरकार बड़ा बदलाव करने जा रही है। सीएम ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन हो रहा है, इसीलिए इतनी हलचल है। डिनोटिफिकेशन का मामला तभी कोर्ट तक पहुंचा और दो दिन काम रोको प्रस्ताव लाया गया। यही हलचल परिवर्तन का संकेत दे रही है, लेकिन इस चर्चा के दौरान विपक्ष के नेताओं ने कोई भी बात फैक्ट के आधार पर नहीं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के फैसले प्रशासनिक आधार के लिए जाते हैं, लेकिन ऐसा कोई तर्क विपक्ष ने नहीं दिया।

नाराज विपक्ष ने फिर की नारेबाजी

मुख्यमंत्री के जवाब के बाद भाजपा के विधायकों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले बंद किए संस्थानों को बहाल करने की घोषणा करें और फिर इनकी समीक्षा की जाए। 12000 शिक्षकों के पद केवल हमारी सरकार में नहीं खाली हुए। जब तक यह पद नहीं भरे जाएंगे, क्या संस्थान बहाल नहीं होंगे? जयराम ठाकुर ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री तर्कहीन बातें कर रहे है। जो संस्थान डिनोटिफाई हुए, पहले उन्हें बहाल करने का आश्वासन सीएम दें। इसके बाद भाजपा के विधायकों ने सदन से बाहर आकर नारेबाजी भी की।

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