लम्बे अरसे से खतवाड़ गाॅव की तलहटी से खिसक रही जमीन
माईनिंग विभाग के अधिकारी मौके से रहे नदारद
अवैज्ञानिक खनन और गलत डंपिंग से हो रहा नुकसान,माईन के बचाव में उतरा विपक्ष
डिजिटल सिरमौर/पांवटा साहिब
चर्चित खदान मामला खतवाड दिनों दिन सुर्खियाॅ बटोरने में को कसर नही छोड रहा। जिसमें ग्रामणों के आपसी विवाद के चलते खान सुरक्षा निदेशक गाजियाबाद संजीव कुमार ने खेमें में आने के लिए विवंश कर दिया।
निदेशक संजीव कुमार खतवाड़ गांव के ग्रामीणों की शिकायत पर यहाॅ पहुंचे थे भले ही विभाग ने ग्रामीणों की शिकायत के कई महीनों बाद यहां आने की जय मत उठाई। बल्कि खान सुरक्षा निदेशक के यहाॅ पहुचने पर आला अधिकारी के यहां पहुंचने से अस्वस्थ है।
बताते चलें कि खतवाड़ गांव पिछले 3 दशकों से तिल तिल कर खाई की तरफ खिसकता जा रहा है। गांव की सैकड़ो बीघा उपजाउ जमीन और छह मकान खाई में समा चुके हैं। जबकि लगभग दो दर्जन मकानों में दरारें आ गई है। इनमें से अधिकतर मकान रहने लायक नहीं बचे हैं। ग्रामीण दरारों भरे मकानों में रहने को मजबूर है। हालांकि ग्रामीण पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार से लेकर खनन विभाग तक हर स्तर पर अपनी बात रख रहे हैं। मगर अभी तक किसी सरकार या जिम्मेदार विभाग ने ग्रामीणों का दर्द जानने का प्रयास नहीं किया। पिछले दिनों मीडिया में मामला उछलने के बाद स्थानीय प्रशासन और स्थानीय विधायक ने गांव का दौरा कर गए थे। मगर उसके बाद भी ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली। भले ही गांव को असुरक्षित घोषित कर दिया था बावजूद उसके गांव के पुनर्वास और विस्थापन का कोई प्रयास प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया।
इसी विषय को लेकर खतवाड़ गांव के ग्रामीणों ने डायरेक्टर जनरल मीनिंग सेफ्टी गाजियावाद को शिकायत भेजी थी। जिसमें ग्रामीणों ने गांव के पास चल रही तीन चूना पत्थर खदानों पर हो रहे अवैज्ञानिक खनन को त्रासदी के लिए जिम्मेदार बताया था। ग्रामीणों का कहना है कि खदानों से निकलने वाले मलबे की अवैज्ञानिक ढंग से डंपिंग की जाती है। खदानों पर अवैज्ञानिक ढंग से खुदाई की जाती है। जिसकी वजह से हर साल करोड़ों टन मालवा बरसाती नाले के साथ बहकर गांव के ठीक नीचे कटाव लगाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि मलवा से लगने वाले कटाव की वजह से गांव के दो तरफ गहरी खाई बन गई है। इन खाइयो से बरसात के दिनों में मलबा खिसकता रहता है जिसकी वजह से गांव की उपजाऊ जमीन और घर भी नाले की तरफ खिसकते जा रहे हैं। खतवाड़ गांव के ग्रामीण उनके पुनर्वास और नुकसान की भरपाई की मांग कर रहे हैं। मगर अभी तक न मुआवजा दिया गया है। न खदानों के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई है न ही ग्रामीणों के पुनर्वास के प्रयास किए गए हैं।
गौरतलब है कि जब क्षेत्र में डीजीएमएस को दौरा हो रहा तो उस समय माईनिंग विभाग का कोई भी कर्मचारी मौके पर नही पाया गया। माईनिंग विभाग के कर्मचारी टीम को क्षेत्र की माईनिंग के बारें में गाईड करने में सक्षम नही है। इसलिए उन्होनें मौके पर पहुचने के मुॅह मोड लिया है।
उधर ग्रामीणों के दूसरे गुट का कहना है कि खतवाड़ गांव की जमीन खिसकने का कारण प्राकृतिक है। खदानों के मलबे से यहां नुकसान नहीं हो रहा है। पंचायत प्रधान कंठीराम ने बताया कि खतवाड़ गांव को काफी नुकसान हो रहा है। इसके लिए सरकार को ग्रामीणों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी गई है जल्द ही नुकसान उठा रहे ग्रामीण को उचित मुआवजा मिलने की उम्मीद है।
खदानों और प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद डीजीएमएस के डायरेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र का दौरा किया है। साथ ही पीड़ित ग्रामीणों समस्याओं और दूसरे पक्ष को भी सुना। उन्होंने कहा कि इस संबंध में तथ्यों के आधार पर कार्यवाही की जाएगी।
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