अपंगता के बावजूद नहीं मानता खुद को असहाय-जीतू, आमजन मानस के लिए बने प्रेरणा का स्रोत
भीम सिंह
विकासखंड पांवटा साहिब की ग्राम पंचायत राजपुर के दुर्गम गांव कोटड़ा-दिद्याली में रहने वाले जीत सिंह अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने अपनी 50 प्रतिशत शारीरिक अपंगता के बावजूद समाज के लिए मिसाल पेश की है। जीत सिंह जिन्हें लोग प्यार से जीतू बुलाते हैं, ने कभी अपनी शारीरिक स्थिति को कमजोरी नहीं माना। उन्होंने न केवल अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना किया, बल्कि अपने आत्म-सम्मान और मेहनत के बल पर लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए।
जीवन के संघर्ष और प्रेरणा
जीतू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उनके पिता का साया बचपन में ही उठ गया, और उनकी विधवा मां ने उनकी परवरिश का जिम्मा संभाला। समय के साथ मां वृद्ध हो गईं और मेहनत करने में असमर्थ हो गईं। ऐसे में जीतू ने किसी से मदद मांगने के बजाय खुद मेहनत करने का निश्चय किया। वह जंगल से लकड़ियां इकट्ठा करके बेचते हैं, और अपना गुजर बसर करते है।
स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की मिसाल
जीतू का कहना है, सरकार जो पेंशन देती है, वही मेरे लिए काफी है। मैंने कभी किसी से आर्थिक मदद लेना उचित नहीं समझा। यही कारण है कि क्षेत्र के राजनीतिक हलकों में भी उन्होंने किसी से सहायता नहीं ली। उनकी ईमानदारी और स्वाभिमान ने उन्हें स्थानीय लोगों के बीच एक आदर्श बना दिया है।
लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत
जीतू के संघर्ष और मेहनत को देखकर लोग उनकी तारीफ किए बिना नहीं रहते। उनका जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो चुनौतियों से हार मानने की बजाय उनका सामना करने का साहस रखते हैं। उनका आत्म-सम्मान और कठिन परिस्थितियों में डटे रहने का जज़्बा उन्हें क्षेत्र में एक अनोखी पहचान दिलाता है।
जीतू का जीवन यह सिखाता है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्म-विश्वास और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।