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राजनैतिक दलों को चुनाव मे याद आती है पांवटा रेलवे लाईन

राजनैतिक दलों को चुनाव मे याद आती है पांवटा रेलवे लाईन
दशकों से जिला सिरमौर की हो रही अनदेखी

भीम सिंह। पांवटा साहिब
लोकसभा चुनाव में इस बार भी जिला सिरमौर को रेल लाईन से जोडने का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जिला सिरमौर के लोगों को रेल नेटवर्क से जोड़ने के मुगेरी लाल के सपने दिखाते आ रहे हैं। वही चुनाव खत्म होते ही सिरमौर जिला में रेल पहुंचने की उम्मीद भी खत्म हो जाती है। जिला सिरमौर के उद्योगपतियों द्वारा भी पिछले 3 दशकों से जिला के औद्योगिक क्षेत्र पांवटा साहिब व कालाअंब को रेल लाईने से जोड़ने की मांग उठाई जा रही है। भाजपा सांसद वीरेंद्र कश्यप ने क्षेत्र की भोली भाली जनता को रेल के सपने दो बार दिखा दिए है। परन्तु अभी तक इन सपनों को भाजपा सरकार चार चाॅद नही लगा सकी। यथास्थिति यही रही तो भविष्य में भी पांवटा में रेल लाईन कभी भी नही आ सकती।

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क्षेत्र की जनता ने दर्जनों बार जिला के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार को विभिन्न संस्थाओं व चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ज्ञापन भी सौपे गए। मगर यह मांग फाइलों में धूल फांक रही हैं। जिला सिरमौर के पांवटा साहिब व कालाअंब औद्योगिक क्षेत्रों में अभी सारा कच्चा माल व तैयार माल ट्रकों के द्वारा ही देश के अन्य राज्यों में पहुंचाया जाता है। यदि सिरमौर में रेल पहुंच जाती है, तो जहां समय पर उद्योगों को कच्चा माल व तैयार माल दुसरे स्थानों पर पहुंचाने में असानी होगी। वहीं भारी-भरकम किराए से भी उद्योगपतियों को निजात मिलेगी।

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सिरमौर जिला के हजारों सैनिकों को भी रेल का इंतजार- जिला सिरमौर के हजारों सैनिक देश की सरहद पर दिन रात सेवाएं दे रहे है। इन सैनिकों को सरहदों से अपने घर आने-जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर बसों में तय करना पड़ता है। क्योंकि जिला के सैनिको को रेल पकडने के हरियाण व उत्तराखंड जाना पडता है। जिला के सैनिकों को सरहद पर जाने के लिए कालका, अंबाला व देहरादून से ट्रेन पकड़ कर यह अपने स्टेशनों के लिए रवाना होना पडता है। नाहन से अंबाला 70 किलोमीटर, देहरादून 90 किलोमीटर व कालका 110 किलोमीटर दूर है।

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सर्वें तक ही सीमित रहे सिरमौर की रेलवे लाईन-
पांवटा साहिब कालाअंब को रेलवे लाईन से जोड़ने के लिए कई बार सर्वे हुए। मगर कोई भी सर्वें बिना बजट के सिरे नहीं चढ़ पाया। प्रत्येक लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों द्वारा जिला सिरमौर को रेलवे से जुडने के वादे किए जाते हैं। मगर चुनाव के बाद दोबारा पांच वर्षों तक कोई भी रेल का नाम नहीं लेता है। दो दशक पूर्व पंजाब के घनौली से सोलन व सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्रों को रेल लाईन से जोडने के लिए बद्दी-पिंजौर-कालाअंब-पांवटा साहिब के लिए रेल लाइन का सर्वे रेलवे द्वारा करवाया गया। जिसके निर्माण के लिए भारी-भरकम राशि खर्च होने के चलते इसके लिए केंद्र सरकार ने आज तक बजट का प्रावधान नहीं किया। उसके बाद पांवटा साहिब को देहरादून व यमुनानगर से रेल लाईन से जोडने के लिए केंद्र सरकार से मांग उठाई गई। मगर यह मांग भी दशकों से सिरे नहीं चढ़ी।

जिला सिरमौर में आईआईएम सिरमौर, नाहन मेडिकल कॉलेज, पांवटा डेंटल कॉलेज, कालाअंब में शिक्षण संस्थान, पांवटा साहिब के समीप राजबन में बन रही भारतीय सेना की यूनिट सहित कई प्रदेश सरकार के बडे संस्थान खुले है। जहां पर देश के विभिन्न हिस्सों से कर्मचारी नौकरी के लिए पंहुच रहे है। बिना रेल के इन कर्मचारियों को यहां पंहुचने के भारी परेशनियों का सामना करना पडता है। इसके अतिरिक्त पांवटा साहिब स्थित ऐतिहासिक गुरूद्वारा, मिश्रवाला में मदरसा, बडू साहिब इटरनल विवि, अंर्तराष्ट्रीय वैटलैड श्रीरेणुकाजी झील, हरिपुरधार माता भंगायणी मंदिर व चूड़धार मंदिर में प्रति वर्ष देश विदेश के लाखों छात्रा व पर्यटक रेल के अभाव में गाडियों में कई दिनों तक सफर कर यहां पंहुचने को मजबूर है।

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