हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में बीती रात आई तेज बारिश और तूफान ने किसानों व बागवानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया। अचानक बदले मौसम ने न केवल खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि बागों में तैयार हो रहे फलों पर भी कहर बरपाया। खासकर गेहूं की फसल, जो अब कटाई के अंतिम चरण में थी, वह बारिश की मार से बुरी तरह प्रभावित हुई है।

गौरतलब है कि सिरमौर जिला हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख कृषि क्षेत्र है, जहां बड़े पैमाने पर गेहूं, मक्की, सरसों और सब्जियों की खेती की जाती है। इसके अलावा बागवानी के अंतर्गत सेब, अमरूद, आड़ू जैसे फलों की पैदावार भी होती है। बीती रात तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को पूरी तरह भिगो दिया, जिससे दाने अंकुरित होने लगे हैं और भूसे के साथ फसल खराब होने की आशंका भी जताई जा रही है।
कई गांवों से मिली जानकारी के अनुसार, तूफान ने टीन की छतों को उड़ा दिया और कुछ जगहों पर पेड़ भी गिर गए, जिससे सड़क मार्ग भी अवरुद्ध हो गए हैं। बिजली आपूर्ति भी कई क्षेत्रों में ठप हो गई है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि उन्होंने अपनी फसल को कटाई के लिए बिल्कुल तैयार कर रखा था, लेकिन अचानक आए इस मौसम ने उन्हें आर्थिक रूप से बहुत बड़ा झटका दे दिया है।
’’किसानों की व्यथा’’
जिला के राजगढ़, पांवटा साहिब, संगड़ाह और नाहन उपमंडल के कई किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल में अब अंकुरण शुरू हो गया है, जिससे न केवल उत्पादन घटेगा बल्कि दाने की गुणवत्ता भी बुरी तरह प्रभावित होगी। किसान रामकुमार निवासी रामनगर्र ने बताया कि उन्होंने करीब दो बीघा जमीन पर गेहूं बोई थी, लेकिन कल रात की बारिश से सारी फसल जमीन पर बिछ गई है। “अब ये अनाज न तो बेचने लायक रहेगा और न ही खाने लायक,” उन्होंने दुख के साथ कहा।
’’बागवानों को भी नुकसान’’
सिर्फ फसल ही नहीं, बल्कि बागवानी से जुड़े किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। सेब और अन्य फलों के फूल व कलियां तेज हवाओं से झड़ गई हैं, जिससे आगामी सीजन में उत्पादन पर असर पड़ सकता है। स्थानीय बागवानों का कहना है कि फूलों का गिरना भविष्य की पैदावार को प्रभावित करता है, जिससे उनकी आमदनी में भारी गिरावट आ सकती है।
’’प्रशासन की प्रतिक्रिया’’
उधर, जिला प्रशासन ने भी नुकसान का संज्ञान लेते हुए तहसील स्तर पर रिपोर्ट मांगनी शुरू कर दी है। जिला उपायुक्त आदित्य ने बताया कि राजस्व विभाग को नुकसान का आकलन करने के निर्देश दे दिए गए हैं और जल्द ही प्रभावित किसानों को राहत प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की टीमों को मौके पर भेजा गया है और वे किसानों को आवश्यक सलाह दे रही हैं।
’’मुआवज़े की मांग’’
किसानों व बागवानों ने सरकार से जल्द से जल्द राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की है। किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही आर्थिक सहायता नहीं दी गई तो उनकी साल भर की मेहनत और पूंजी डूब जाएगी, जिससे वे कर्ज के बोझ तले दब सकते हैं।
सिरमौर जिले में अचानक बदला मौसम एक बार फिर यह साबित करता है कि किसानी अब मौसम के भरोसे नहीं रह गई है। जरूरत है कि सरकार किसानों को मौसम आधारित फसल बीमा, आधुनिक कृषि तकनीकों और मजबूत राहत प्रणाली से जोड़ने के लिए गंभीर कदम उठाए, ताकि इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं उनकी कमर न तोड़ सकें।