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School Bus Checking:पांवटा साहिब में निजी स्कूल बसों की जांच: सुरक्षा दिशा-निर्देश जारी

School Bus Checking:पांवटा साहिब पुलिस उप-मंडल ने हाल ही में निजी स्कूल बसों की व्यापक जांच की और सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और बसों में यात्रा के दौरान संभावित खतरों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। जांच के दौरान पुलिस ने स्कूल प्रबंधकों और बस चालकों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं, जिनका पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

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इस जांच का मुख्य उद्देश्य स्कूल बसों की सुरक्षा मानकों को स्पष्ट करना और सुनिश्चित करना था कि सभी नियम और दिशा-निर्देश सही तरीके से लागू हो रहे हैं। पुलिस ने विभिन्न सुरक्षा मानकों को लागू करते हुए निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए हैं:

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चालक का अनुभव-पुलिस ने निर्देशित किया है कि स्कूल बस का चालक भारी वाहन चलाने का कम से कम 5 वर्षों का अनुभव रखता हो। यह अनुभव इसलिए आवश्यक है ताकि चालक की कुशलता और सुरक्षा का स्तर उच्च हो, और वह विभिन्न परिस्थितियों में सही निर्णय ले सके।

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कंडक्टर की नियुक्ति-प्रत्येक स्कूल बस में ड्राइवर के अलावा एक कंडक्टर भी होना चाहिए। कंडक्टर के पास हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन नियमों के तहत निर्धारित योग्यता और प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। कंडक्टर की उपस्थिति बच्चों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेषकर बस में चढ़ाई और उतराई के दौरान।

सुरक्षित दरवाजे और लॉक- बसों में उचित दरवाजा लॉक और कुंडी की व्यवस्था होनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि एक बार जब बच्चे बस में चढ़ जाएं, तो दरवाजे पूरी तरह से बंद कर दिए जाएं ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इस व्यवस्था से बस के अंदर और बाहर किसी भी संभावित दुर्घटना को रोका जा सकता है।

खिड़कियों में ग्रिल- सभी बसों की खिड़कियों में ग्रिल लगी होनी चाहिए। यह उपाय खिड़कियों से बाहर गिरने या दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगा और बच्चों को सुरक्षित रखेगा।

सीटिंग कैपेसिटी-बस में जितनी सीटें उपलब्ध हैं, उतने ही बच्चों को बैठाने की व्यवस्था होनी चाहिए। ओवरलोडिंग की स्थिति से बचने के लिए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बस की सीटिंग कैपेसिटी से अधिक बच्चे न बैठें।

गति सीमा- बस चालक को यह सुनिश्चित करना होगा कि बस न्यूनतम गति सीमा में ही चले। यह उपाय सड़क पर सुरक्षा बनाए रखने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।

चालक की उम्र- बस चालक की उम्र 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह निर्देश चालक की शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को कुशलता से निभा सकें।

चढ़ाई और उतराई- बच्चों को बस में चढ़ाते और उतराते समय चालक को बस को पूरी तरह से रोकना होगा। यह सुरक्षा उपाय बच्चों को बस में चढ़ने और उतरने के दौरान किसी भी दुर्घटना से बचाने में मदद करेगा।

पुलिस ने इन दिशा-निर्देशों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल प्रबंधकों और बस चालकों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन नियमों का पालन न करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आगामी दिनों में भी इस तरह की चेकिंग जारी रहेगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इस जांच और दिशा-निर्देशों के माध्यम से पुलिस ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि स्कूल बसों की यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक हो। सभी संबंधित पक्षों को इन दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है ताकि सड़क पर यात्रा करते समय बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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